जा रही है जान हमने जाना बिना मास्क के घर से बाहर नहीं जाना। जा रही है जान हमने जाना बिना मास्क के घर से बाहर नहीं जाना।
मगर, यह गुजरती भी नहीं, अपनों के बिना। मगर, यह गुजरती भी नहीं, अपनों के बिना।
चलन से बाहर चलन से बाहर
मास्क काले-गोरे का भेद मिटा रहे हैं अंजान पीड़ा को अपने आगोश में दबा रहे हैं। मास्क काले-गोरे का भेद मिटा रहे हैं अंजान पीड़ा को अपने आगोश में दबा रहे हैं...
तुम्हारा होना न होने जैसा होता है। तुम्हारा होना न होने जैसा होता है।
बात समझने की है यारों बचपन ऐसा ही होता है। बात समझने की है यारों बचपन ऐसा ही होता है।